सावन का महीना हिन्दू धर्म में भगवान शिव की आराधना के लिए सबसे पवित्र माना जाता है। आखिर शिवलिंग की पूरी परिक्रमा क्यों नहीं करनी चाहिए? यह प्रश्न हर श्रद्धालु के मन में उठता है।
सावन का महीना हिन्दू धर्म में भगवान शिव की आराधना के लिए सबसे पवित्र माना जाता है। यह मास भक्तों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है, जब जलाभिषेक, व्रत, रुद्राभिषेक और शिवलिंग की परिक्रमा जैसे अनुष्ठान किए जाते हैं। परंतु बहुत कम लोग जानते हैं कि शिवलिंग की परिक्रमा पूरी नहीं की जाती। आखिर शिवलिंग की पूरी परिक्रमा क्यों नहीं करनी चाहिए? यह प्रश्न हर श्रद्धालु के मन में उठता है।
इस लेख में हम सावन 2025 में शिवलिंग की परिक्रमा से जुड़े नियम, मान्यताएं, सावधानियां और सही विधि विस्तार से समझेंगे।
शिवलिंग की परिक्रमा कैसे करनी चाहिए?
शिवलिंग की परिक्रमा एक विशेष धार्मिक प्रक्रिया है, जिसमें श्रद्धालु शिवजी के प्रतीक स्वरूप के चारों ओर घूमकर उन्हें नमन करते हैं। लेकिन शिवलिंग की परिक्रमा पूर्ण नहीं की जाती, बल्कि केवल आधी या तीन चौथाई परिक्रमा ही की जाती है। परिक्रमा करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:
शिवलिंग की परिक्रमा की सही विधि:
1. परिक्रमा की शुरुआत बाईं ओर से करें।
2. नंदी को पार न करें। जब बाईं ओर से शुरू करें, तो नंदी बाबा के सामने आकर रुक जाएं।
3. नंदी की पीठ के पीछे से नहीं बल्कि सामने से ही लौटकर आएं।
4. इस प्रकार, आप एक अर्धचंद्राकार परिक्रमा पूरी करते हैं।
5. लौटते समय भी भगवान को नमन करना न भूलें।
शिवलिंग की पूरी परिक्रमा क्यों नहीं करनी चाहिए?
शिवलिंग की पूरी परिक्रमा न करने के पीछे धार्मिक, आध्यात्मिक और पौराणिक कारण हैं। आइए इन सभी पहलुओं को विस्तार से समझते हैं।
1. नंदी को शिव का द्वारपाल माना गया है
नंदी, भगवान शिव के वाहन और प्रमुख गण माने जाते हैं। पौराणिक मान्यता है कि नंदी बाबा भगवान शिव तक जाने वाले रास्ते के द्वारपाल हैं। जब कोई भक्त शिवलिंग की परिक्रमा करता है और नंदी की पीठ के पीछे से गुजरता है, तो यह बदतमीजी मानी जाती है।
2. शिवलिंग के पीछे यम स्थान होता है
कुछ मान्यताओं के अनुसार, शिवलिंग के पीछे का भाग 'यम स्थान' माना जाता है, जहां नकारात्मक शक्तियों का वास होता है। यह स्थान पार्थिव शरीर के नाश से जुड़ा होता है। इसलिए उस हिस्से की परिक्रमा नहीं करने की सलाह दी जाती है।
3. धार्मिक मर्यादा का उल्लंघन होता है
पूरे शिवलिंग की परिक्रमा करना धर्मशास्त्रों के अनुसार मर्यादा भंग करना माना जाता है। ऐसा करने से पूजा का फल घट सकता है या नकारात्मक प्रभाव भी आ सकते हैं।
4. नंदी के सामने ही प्रार्थना करें
नंदी बाबा को भगवान शिव का संदेशवाहक भी माना जाता है। यह मान्यता है कि जो भी बात भक्त नंदी के कान में कहते हैं, वह तुरंत शिव तक पहुँचती है। इसलिए नंदी के सामने से लौटना ही शुभ माना जाता है, न कि पीछे से निकलना।
शिवलिंग परिक्रमा से जुड़ी मान्यताएं और कथा
पौराणिक कथा:
शिवलिंग की आधी परिक्रमा करने का विधान है, जिसे "चंद्राकार परिक्रमा" भी कहा जाता है। इसका कारण यह है कि शिवलिंग पर चढ़ाए गए जल का प्रवाह जिस ओर से होता है, उसे "सोमसूत्र" या "जलाधारी" कहते हैं। शास्त्रों के अनुसार, सोमसूत्र को लांघना उचित नहीं माना जाता, इसलिए शिवलिंग की आधी परिक्रमा करके वापस लौटना होता है।
शिवलिंग परिक्रमा की एक और कथा ये भी है की एक बार देवी पार्वती ने भगवान शिव से पूछा, "प्रभु! आपके भक्त आपकी परिक्रमा क्यों नहीं करते?" भगवान शिव ने उत्तर दिया, "शिवलिंग एक विशेष ऊर्जा का केंद्र है। इसकी परिक्रमा का नियम इस ऊर्जा के संतुलन से जुड़ा है। अगर कोई पूरी परिक्रमा करता है, तो वह ऊर्जा असंतुलित हो जाती है और अनिष्ट फल देता है।"
इसलिए आधी परिक्रमा करने से ऊर्जा का संतुलन बना रहता है और भक्त को पूर्ण पुण्यफल प्राप्त होता है।
सावन में शिवलिंग की परिक्रमा नियम (Sawan 2025)
सावन के महीने में शिवलिंग की परिक्रमा करते समय विशेष नियमों का पालन करना चाहिए:
1. सोमवार के दिन विशेष परिक्रमा करें, क्योंकि सावन सोमवार अत्यंत फलदायी माना जाता है।
2. शिवलिंग को जल, दूध, बेलपत्र, भस्म आदि अर्पित करें, फिर परिक्रमा करें।
3. कभी भी जूते-चप्पल पहनकर या अशुद्ध अवस्था में परिक्रमा न करें।
4. परिक्रमा के दौरान मंत्र जाप जैसे – "ॐ नमः शिवाय", "महामृत्युंजय मंत्र" का उच्चारण करें।
5. परिक्रमा हमेशा शांत मन और श्रद्धा से करें, कोई जल्दबाजी या अनियमितता न करें।
सावन में शिव पूजा की विधि
1. प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
2. पूजा स्थल की सफाई करें और शिवलिंग स्थापित करें या मंदिर जाएं।
3. शिवलिंग पर जल, दूध, दही, शहद, घी, चीनी, गंगाजल से अभिषेक करें।
4. बेलपत्र, धतूरा, सफेद पुष्प, चावल अर्पित करें।
5. "ॐ नमः शिवाय" का 108 बार जप करें।
6. रुद्राष्टक, शिव चालीसा या शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करें।
7. अंत में आधी परिक्रमा कर प्रसाद चढ़ाएं और प्रार्थना करें।
शिवलिंग की परिक्रमा कैसे करें
1. शिवलिंग के बाएं तरफ से परिक्रमा शुरू करें 2. नंदी तक पहुंचें और वहीं रुकें 3. नंदी के कान में अपनी प्रार्थना कहें 4. सामने से वापस आएं – पूरी परिक्रमा न करें 5. अंत में पुनः नमस्कार करें और प्रसाद लें |
निष्कर्ष
शिवलिंग की परिक्रमा सिर्फ एक धार्मिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुभव है जो श्रद्धा, नियम और मर्यादा से जुड़ा हुआ है। सावन 2025 में अगर आप भगवान शिव की पूजा करते हैं, तो परिक्रमा के इन नियमों का पालन जरूर करें। इससे आपकी भक्ति न केवल फलित होगी, बल्कि जीवन में शांति, सुख और समृद्धि का संचार भी होगा।
FAQs – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
Q1: शिवलिंग की पूरी परिक्रमा क्यों नहीं की जाती?
उत्तर: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शिवलिंग के पीछे यम स्थान माना गया है, और नंदी की पीठ के पीछे से गुजरना अशुभ होता है। इसलिए केवल अर्ध परिक्रमा ही की जाती है।
Q2: क्या नंदी बाबा की भी परिक्रमा करनी चाहिए?
उत्तर: नंदी बाबा की परिक्रमा नहीं की जाती, बल्कि उनके सामने बैठकर शिवजी से अपनी प्रार्थना कहनी चाहिए।
Q3: शिवलिंग की परिक्रमा करते समय क्या बोलना चाहिए?
उत्तर: "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जप करें या "महामृत्युंजय मंत्र" का उच्चारण करें।
Q4: सावन में शिवलिंग की परिक्रमा का विशेष महत्व क्या है?
उत्तर: सावन भगवान शिव को अत्यंत प्रिय मास है। इस महीने की गई पूजा और परिक्रमा से विशेष पुण्य और इच्छित फल की प्राप्ति होती है।
Q5: क्या महिलाएं शिवलिंग की परिक्रमा कर सकती हैं?
उत्तर: हां, महिलाएं शिवलिंग की परिक्रमा कर सकती हैं।
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